ऑफिस के बगल वाले रेस्टोरेंट में

मेरा नाम मनोज है मैं बेंगलुरु का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 28 वर्ष है और मैं एक कंपनी में नौकरी करता हूं। मैं जिस कंपनी में नौकरी करता हूं उसमें काम करते हुए मुझे बहुत समय हो चुका है। मेरे बड़े भैया भी नौकरी करते हैं और वह भी एक अच्छी कंपनी में जॉब पर हैं। मेरे पिताजी अब रिटायर हो चुके हैं इसलिए वह घर पर ही रहते हैं और ज्यादा समय अपना घर पर ही बिताते हैं।

वह और मेरी मम्मी अक्सर कहीं ना कहीं घूमने के लिए चले जाते हैं, कई बार मेरे पिताजी मेरे रिश्तेदारों के घर चले जाते हैं और वह उनसे मिलकर बहुत खुश होते हैं क्योंकि जब वह नौकरी में थे तो उस वक्त वह किसी से भी मिल नहीं पाते थे। मैं अपने काम के सिलसिले में ही बिजी रहता हूं इसलिए मैं अपने भैया से भी ज्यादा बात नहीं कर पाता और वह भी शाम के वक्त ही अपने ऑफिस से लौटते हैं इसलिए हम दोनों भाई एक दूसरे को बहुत कम समय दे पाते हैं।

एक दिन मेरे भैया मुझे कहने लगे कि मेरे दोस्त राकेश की बहन के लिए तुम अपने ऑफिस में यदि कोई काम देख लो तो अच्छा रहेगा। मैंने उनसे कहा कि आप मुझे उसका रिज्यूम दे दीजिए मैं अपने ऑफिस में बात कर लूंगा यदि हमारे ऑफिस में वैकेंसी हुई तो मैं आपको सूचित कर दूंगा क्योंकि मैं भैया के दोस्त को भी अच्छे से जानता था लेकिन मैं कभी भी उसकी बहन से नहीं मिला था।

एक दिन हमारे बॉस कहने लगे कि यदि तुम्हारे नजर में कोई लड़की डाटा एंट्री के लिए मिल जाए तो अच्छा रहेगा,  मैंने इस बारे में अपने भैया से बात की तो वह कहने लगे कि मैं राकेश से बात कर लेता हूं, मैं उससे बात करके उसकी बहन को कल तुम्हारे पास ऑफिस में भेज दूंगा। मेरे भैया ने अपने दोस्त से बात कर ली और उन्होंने अगले दिन अपनी बहन को मेरे ऑफिस में भेज दिया।

जब वह मुझसे मिली तो मुझे वह बहुत अच्छी लगी, उसका नाम राधिका है। मैंने उससे अपने बॉस से मिलवाया और मेरे बॉस ने उसे काम पर रख लिया, अब राधिका हमारे ही ऑफिस में काम करने लगी थी इसलिए मेरी बात उससे हो जाती थी। मैं जब राधिका के साथ बैठा होता तो मैं उससे उसके बारे में पूछ लेता हूं।

मैंने उससे पूछा कि क्या तुमने इससे पहले कहीं नौकरी की थी, वह कहने लगी कि मैं इससे पहले कहीं भी नौकरी नहीं कर रही थी,  मेरे कॉलेज के खत्म होने के बाद मैं काफी समय से घर पर थी इसलिए मुझे लगा कि मुझे कहीं पर कोई काम कर लेना चाहिए। मैंने राधिका से पूछा कि क्या तुम मेरे भैया को जानती हो तो वह कहने लगी कि हां वह कभी कबार हमारे घर पर आ जाते हैं क्योंकि मेरे भैया और उनके बीच में बहुत अच्छी दोस्ती है।

मैं भी राधिका के भैया से कई बार मिल चुका हूं। राधिका और मेरे बीच में अब बहुत बातें होने लगी थी और उसके साथ समय बिताना  मुझे अच्छा लगता था। एक बार हमारे ऑफिस के सब दोस्तों ने प्लान बनाया की हम लोग किसी दिन आउटिंग पर बाहर चलते हैं, शनिवार के दिन हमारी छुट्टी जल्दी हो जाती है इसलिए हम सब ने उस दिन फैसला किया कि हम लोग कहीं घूमने चलते हैं।

राधिका भी हमारे साथ में ही थी क्योंकि हमारे ऑफिस के सामने ही एक नया रेस्टोरेंट खुला था और उनसे हमारे बहुत ही अच्छे संबंध बन चुके थे तो हम जब भी कोई पार्टी करते थे तो उनके वहां पर ही हम लोग पार्टी करते थे। वह हमारे लिए बहुत ही अच्छे से व्यवस्था करते थे इसलिए हम लोग अक्सर वही पर जाते थे। जब हम लोग रेस्टोरेंट में सब लोग साथ में बैठे हुए थे और हमारे बॉस भी उस दिन हमारे साथ ही थे क्योंकि वह भी हमेशा कहते थे कि जब भी समय मिले तो तुम लोग बाहर चले जाया करो, हम लोगों ने उस दिन सोचा कि क्यों ना हम अपने बॉस को भी अपने साथ ले जाएं और उस दिन सब लोग आपस में बैठकर बातें कर रहे थे और एक दूसरे के बारे में जान रहे थे।

सब लोग अपने अपने बारे में कुछ न कुछ नई जानकारियां दे रहे थे और मैंने भी उस दिन अपने बारे में बताया, मैंने उस दिन राधिका को सबके सामने प्रपोज कर दिया और सब लोग बहुत जोर जोर से तालियां बजाने लगे। राधिका भी शर्माने लगी थी क्योंकि राधिका के दिल में भी मेरे लिए कुछ तो चल रहा था। मैंने उसे सबके सामने प्रपोज कर दिया तो वह शरमा गई।

जब उससे हमारे बॉस ने पूछा क्या तुम भी मनोज से अपना रिलेशन आगे बढ़ाना चाहती हो तो उसने हां कह दिया, अब हम दोनों की ही हां हो चुकी थी। अब हमें जब भी समय मिलता तो हम दोनों ही उस रेस्टोरेंट में आकर बैठ जाया करते थे। मैंने एक दिन राधिका से पूछा क्या तुमने अपने भैया को इस बारे में बताया है तो वह कहने लगी, मैंने अभी अपने रिलेशन के बारे में किसी को भी नहीं बताया है। उस रेस्टोरेंट के जो ओनर थे वह मुझसे बहुत ही अच्छे से परिचित हो गए थे।

उनके और मेरे बीच में एक दोस्ताना रिलेशन बन चुका था इसलिए मैं जब भी राधिका को वहां ले जाता तो वह बहुत ही अच्छे से हमें ट्रीट करते थे। हमारे रिलेशन के बारे में किसी को भी हमने नहीं बताया था,  सिर्फ हमारे ऑफिस में ही सबको हमारे रिलेशन के बारे में पता था। मेरे बॉस हमेशा ही मुझे छेड़ते रहते थे और कहते कि तुम दोनों का रिलेशन कैसा चल रहा है, मैं उन्हें कहता कि हमारा रिलेशन तो अच्छा चल रहा है।

वह बहुत ही मजाक किया करते है और जिस प्रकार से वह हम दोनों से बात करते थे हम दोनों ही उन्हें देखकर हंस पड़ते हैं। एक दिन मै राधिका को अपने साथ अपने ऑफिस के बगल वाले रेस्टोरेंट में ले गया। जब वह मेरे साथ बैठी हुई थी तो उस दिन उसने लाल रंग की लिपस्टिक लगाई हुई थी जिसे देख कर मेरा पूरा मूड खराब होने लगा। मैंने उसकी जांघों पर हाथ रख दिया।

मुझसे बिल्कुल भी उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था इसलिए मैंने रेस्टोरेंट के ओनर से बात की वह कहने लगे कि तुम मुझ से चाबी ले जाओ और अंदर एक कमरा है वहां पर कुछ देर के लिए बैठ जाओ। जब मैं उस कमरे में गया तो मैंने तुरंत अपने लंड को बाहर निकालते हुए राधिका के मुंह में डाल दिया और वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी। राधिका ने कुछ देर तक मेरे लंड को चूसा। मैंने उसके बाद उसके होठो को किस करना शुरू कर दिया और काफी देर तक उसके होठों को मैं किस करता रहा।

मैंने उसे वही जमीन पर लेटा दिया और उसके कपड़े खोल दिए। जब मैंने उसके कपड़े खोले तो मैं उसकी योनि को चाटने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं राधिका की चूत को चाट रहा था उसकी योनि से बहुत ज्यादा पानी बाहर निकल रहा था। मैंने जब अपने लंड को उसकी योनि में डाला तो जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि में गया तो वह चिल्ला उठी। उसने अपने दोनों पैरों को खोल लिया मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसकी चूत मार रहा था।

मैंने उसके दोनों पैरों को खोला और बड़ी तेज गति से धक्के लगाए। मैंने  राधिका को इतने तेज धक्के मारे जैसे ही राधिका की योनि में मेरा माल गया तो मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए राधिका मुंह में डाल दिया और वह बहुत अच्छे से मेरे लंड को चूसने लगी। काफी देर तक उसने ऐसा ही किया लेकिन मेरा दोबारा से मन हो गया मैंने उसे घोड़ी बनाते हुए चोदना शुरू कर दिया। जब मेरा लंड राधिका की योनि में जाता तो उसे बहुत अच्छा लगता और वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं उसे बड़ी तीव्र गति से चोद रहा था जिससे कि मेरा पूरा शरीर गर्म होने लगा था और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा।

वह भी अपने चूतडो को मुझसे मिला रही थी और उसकी नरम और मुलायम चूतडे मुझसे टकराती तो बहुत अच्छा महसूस होता। मैं ज्यादा देर तक उसकी चूत को नही झेल पाया और जैसे ही मेरा माल गिरा तो मैंने तुरंत अपने लंड को उसकी चूत से निकाल लिया। हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद मैंने रेस्टोरेंट के मालिक शुक्रिया कहा और हम दोनो वहा से अपने ऑफिस चले गए। मेरा मन जब भी राधिका को चोदने का होता है उसे वही लेकर जाता हूं और उन्हें उसके बदले कुछ पैसे दे दिया करता हू।